ये कोई दो साल पुरानी बात होगी। एनसीआर के एक बड़े मशहूर बिल्डर ने ग्रेटर नोएडा में बड़ी शानदार पार्टी दी थी। शाम को ऑफिस से फ़ारिग होने के बाद मैं भी अपने एक दोस्त के साथ उस पार्टी में पहुंच गया। उस पार्टी की ख़ास बात ये थी कि वहां यो यो हनी सिंह की परफॉर्मेंस होनी थी, जो उस टाइम अपनी स्टारडम के टॉप पर पहुंच चुका था। महंगी व्हिस्की, लज़ीज़ क़बाब और मसालेदार मीट के बीच पार्टी जवां हुई और हनी सिंह का शो भी शबाब पर पहुंच गया। वहां मौजूद सभी लोग धीरे-धीरे शुरू हुए और फिर बेतहाशा नाचने लगे। सबको देख मैं भी बेसुध होकर उनके बीच डांस करने लगा। कुछ देर बाद पार्टी के बीच में ही मैं वॉशरूम की तरफ गया तो देखा कि एक सरदार जी बाहर खड़े व्हिस्की गटकते जा रहे थें और धीरे-धीरे झूम भी रहे थें। मैंने कहा -“क्या सरदार जी... बस यहीं नाचते रहोगे... वहां पार्टी में जाओ, यो यो क्या धमाल मचा रहा है।” सरदार जी कुछ देर सोचते रहे फिर बोले - “बंदे का टेम अच्छा है... लेकिन इसके पास दलेर वाला मैजिक नई है जी।” सरदार जी इतना बोलकर वापस व्हिस्की सुड़कने लगे और मैं वापस यो यो की परफॉर्मेंस एंजॉय करने जा पहुंचा...
उस पार्टी को हुए कुछ दिन ही गुज़रे होंगे कि एक रोज़ शाम के वक़्त मैं ऑफिस में यूट्यूब पर वीडियो सर्च कर रहा था। पता ही नही चला कि मैं कब 90’s के पॉप वीडियोज़ की प्लेलिस्ट में पहुंच गया और फिर एक के बाद एक दलेर मेहंदी के गाने देखने लगा। दलेर के फनी डांस स्टेप्स देखते-देखते वो पुराने दिन याद आ गए जब हमारे इंडियन पॉप म्यूज़िक का गोल्डन एरा चल रहा था। हर शादी, पार्टी और फंक्शन में दलेर मेहंदी के भांगड़ा पर लोग उछल-उछल कर नाचते थें। साला, एक दलेर के चक्कर में बिहार से लेकर मद्रास तक के लोग भांगड़ा सीख गए थें। मुझे आज भी याद है कई साल पहले जब दुर्गा स्टेज पर अचानक दलेर मेंहदी का गाना बजा था, तो गब्बर का छोटा भाई क्या नाम था उसका? टीटू या राजू... वो भी तुरंत स्टेज पर पहुंचकर पंजाबी डांस करने लगा था... उसका जोश देखते ही पंड्या ने कहा था “और रहा नहीं गया”।
क्या ज़ोर चला था तब पॉप म्यूज़िक का दोस्तों... साला पॉप म्यूज़िक ने बॉलीवुड फिल्म म्यूज़िक को भी पीछे छोड़ दिया था। भाई लोगों को तो याद ही होगा कि कैसे हम लोग टीवी पर इन गानों के वीडियोज़ देखा करते थें। कुछ में तो मॉडल्स का थोड़ा सा क्लीवेज और शॉर्ट ड्रेस देखकर ही दिमाग़ ख़राब हो जाता था। हम सोच में पड जाते थे कि साला कितना वल्गर गाना शूट किया है, मगर फिर भी हम शरीफ़ लोग उसे देखते ज़रूर थें। अब उस टाइम के वीडियोज़ और मॉडल्स को आज के सनी लियोनी वाले गानों से कंपेयर करे तो वो बेचारी मॉडल्स कितनी सभ्य और संस्कारी नज़र आती हैं... है न?
ऐसा ही एक गाना याद आता है जसबीर जस्सी का “दिल ले गई कुड़ी गुजरात दी” जिस पर आज भी लौंडे बारात में ज़मीन पर घिसट-घिसटकर ज़रूर नाचते हैं। क्या हिट हुआ था भाई ये गाना... एमटीवी पर तो कितनी बार इसका वीडियो रीपिट होता था। गाना तो था ही मज़ेदार लेकिन इसके वीडियो में जो मॉडल थी वो क्या सेक्स बॉम्ब थी यार। ख़ासकर स्विमिंग पूल वाले सीन में तो उसे देखकर भेजा हिल जाता था। दिल करता था बस वो ही एक शॉट बार-बार रीपीट होता रहे... बड़ा सही गाना था यार ये...
और ख़ाली ऐसे हॉट टाइप के गाने ही क्यों, उस टाइम तो रोमैंटिक गानों का भी बड़ा क्रेज़ था। सोनू निगम का “दीवाना” एलबम तो अपने टाउन के हर घर में बजा होगा। दिन चढ़ते ही थोड़ा सा चौक तक निकल जाओ तो “दीवाना तेरा” कहीं न कहीं बजता सुनाई आ ही जाता था। स्कूलों में जो लौंडे थोड़ा बहुत गाना गा लेते थें, उन पर सोनू निगम बनने का भूत चढ गया था। उस टाउम पर तो हम जितने भी स्कूल्स के annual function देखने पहुंचें, वहा पर लड़कों ने “दीवाना” के गाने गा-गाकर ही लौंडियो को इम्प्रेस किया। लेकिन हां, इसका टाइटल सॉन्ग “दीवाना” बहुत मुश्क़िल था, इसलिए लड़के थोड़े सॉफ्ट रोमाटिक गाने ‘इस कदर प्यार है’ और ‘कुछ तुम सोचो’ ही गाते थें... साले, ग़ज़ब थे वो गली के सोनू निगम... आज कहीं मिले तो हम भी उन्हें बताएं कि बेटा गाना आख़िर गाया कैसे जाता है।
एक सॉन्ग और याद आया... वो था मोहित चौहान का ‘डूबा-डूबा रहता हूं’। यार, सिल्क रूट वालों के इस गाने ने भी क्या मैजिक क्रिएट किया था। शाम के वक़्त तो इस गाने को सुनकर जैसे एकदम मदहोशी छा जाती थीं। इसमें जो गिटार बजी है न, वो तो आज भी मेरे दिमाग़ में गूंजती रहती है।
भाई लोग, इन सब गानों के बीच में हम लोग लकी अली को कैसे भूल सकते है? आह! क्या हस्की वॉइस थी उस टाइम लकी अली की... ऐसा लगता था कि सुनने वालों को जैसे कोई रूहानी ताक़त अपने पास बुला रही हो। उस रेगिस्तान में भटकते लकी अली का वो वीडियो हम कैसे भूल सकते हैं और फिर वो रूहानी आवाज़ - “ओ सनम मोहब्बत की कसम....”
अरे यार, अपन लड़के लोगों की तो बात हो गई... मगर लड़कियों का कुछ याद है क्या? क़सम से, वो ‘फाल्गुनी डेज़’ क्या कोई कभी भूल सकता है? टाउन की हर कोई लड़की पूरे वक़्त अपने टेप में बस फाल्गुनी के गाने सुन-सुनकर लड़कों को बोर करती थीं। लेकिन कुछ भी कहो, ये तो मानना पड़ेगा कि उसका भी टाइम था बॉस। ‘चूड़ी जो खनकी हाथ में’ के वो फेमस डांस स्टेप्स... दोस्तों, लड़कियां उसकी कितनी प्रैक्टिस किया करती थीं यार। फिर तो उसके बाद फाल्गुनी ने एक के बाद एक कितने सारे लेडिस टाइप गाने दिए थें... बाप रे!
चलो भाई लोग, आज के लिए इतना ही। अगर किसी और पॉप वीडियो से जुड़ी कोई याद शेयर करना हो तो कमेंट में लिख डालना... मन हुआ तो अगली पोस्ट में भी इसी पर बात करेंगे।
ये 1994-95 के सीजन की बात है... मैं 6वीं क्लास में पढ़ रहा था। हमारी क्वार्टर के पास ही एक सरकारी स्कूल था जिसे पूर्वे सर का स्कूल कहा जाता था। झक सफ़ेद कपड़े पहनने वाले पूर्वे सर थोड़ी ही दूर स्थित पाथाखेड़ा के बड़े स्कूल के प्रिंसिपल केबी सिंह की नक़ल करने की कोशिश करते थें.. लेकिन रुतबे और पढाई के स्तर में वो कहीं भी केबी सिंह की टक्कर में नहीं थें। अगर आपने कभी किसी सरकारी स्कूल को गौर से देखा हो या वहां से पढाई की हुई हो तो शायद आपको याद आ जाएगा कि ज़्यादातर स्कूलों में ड्रेस कोड का कोई पालन नहीं होता। सुबह की प्रार्थना से ग़ायब हुए लड़के एक-दो पीरियड गोल मारकर आ जाया करते हैं। उनकी जेबों में विमल, राजश्री की पुड़िया आराम से मिल जाती है और छुट्टी की घंटी बजते ही बच्चे ऐसे क्लास से बाहर निकलते हैं जैसे कि लाल कपड़ा दिखाकर उनके पीछे सांड छोड़ दिए गए हो.. ऐसे ही एक सरकारी स्कूल से मैं भी शिक्षा हासिल करने की कोशिश कर रहा था... सितंबर का महीना लग गया था... जुलाई और अगस्त में झड़ी लगाकर पानी बरसाने वाले बादल लगभग ख़ाली हो गए थे। तेज़ और सीधी ज़मीन पर पड़ती चमकती धूप के कारण सामने वाली लड़कियों की क...
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