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Showing posts from July, 2009

जैक्सन जैसा कोई नहीं....

26 जून 2009, हर रोज़ की तरह ही सुबह-सुबह तैयार होकर ऑफिस के लिए निकलता हूं। सड़क पर आकर रिक्शा लिया ही था कि अपने दोस्त रामेश्वर मिश्रा का एसएमएस पाता हूं। पढ़ने पर पता चला कि किंग ऑफ पॉप नहीं रहे। पहले तो यकीन नहीं आया... क्योंकि कई बार एमजे की मौत पर इस तरह की ख़बरें सुन चुका था जो कि बाद में महज़ अफवाह साबित हुई। लेकिन बात एमजे की थी इसलिए वापस रामेश्वर को फोन लगाकर पूछता हूं। वो ख़बर को पुख़्ता बताता है.... वो भी बीबीसी के हवाले से। फिर भी पूरा यकीं नही आता और अपने मित्र और गुरु भूपेंद्र सोनी को फोन लगाकर टीवी देखने को कहता हूं और कुछ देर बाद वो ख़बर को सच बताते है। ऑफिस तक आते-आते कई सारे विचार आते है... सबसे पहला ये कि अपने शो में एमजे को किस तरह से आख़िरी सलाम दूं जबकि मेंरे पास सिर्फ एक दिन है। वहीं पहले से तैयार सारे पैकेजस भी बदलने पड़ते। ऑफिस के अंदर दाखिल होने पर पता चला कि अपने शो के अलावा शाम को भी माइकल पर आधे घंटे का स्पेशल करना है। आनन-फानन में लिखने बैठता हूं लेकिन दिल और दिमाग़ काम नहीं करता... और ना ही अंगुलिया चलती है की-बोर्ड पर। और चले भी कैसे ? माइकल जैसे महान औ

सिनेमा... ये मेरा दीवानापन है

मैं सिनेमा की ओर कब आकर्षित हुआ या फिल्मों से मेरा पहला परिचय कब हुआ ? आज जब किसी फिल्म की आलोचना करने जाता हूं तो सबसे पहले ये ही सवाल आता है कि ये काम करने के लिए मैं कितना मौजूं शख़्स हूं ? महज़ फिल्में देख-देख कर या फिर दो साल तक बॉक्स ऑफिस को प्रोड्यूस कर क्या मैं इतना क़ाबिल हो गया हूं कि किसी फिल्म को अच्छा या बुरा कह सकूं। साहब इस अहम सवाल का जवाब बहुत पीछे जाने पर मिलता है। शायद मेरे जन्म से भी पहले... ये तय हो गया था कि मैं ज़िंदगी में क्या करूंगा... क्या बनूंगा। मैं मध्य प्रदेश के छोटे से कस्बे सारनी का रहने वाला हूं। मां से सुना है कि मेरे पिता अपनी आठ घंटे की सरकारी नौकरी के बाद बचा हुआ समय सिर्फ और सिर्फ फिल्में देखने में बिताया करते थे। अमिताभ बच्चन हो या धर्मेंद्र... या फिर जीतेंद्र या विनोद खन्ना ही क्यों ना हो.... पापा ने किसी की फिल्म नहीं छोड़ी। लेकिन उन पर सबसे ज़्यादा असर था दिलीप कुमार का और ये असर कितना था आप मेरे नाम से ही जान जाएंगे.... जी हां मेरा नाम दिलीप साहब के लिए मेरे पापा की दीवानगी का सबूत है। मैने बचपन एक संयुक्त परिवार में बिताया... जहां मैं अपनी दो