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Showing posts from December, 2009

थ्री इडियट्स: फिल्म रीव्यू

अपने दिल की सुनो.... अपने मन की करो.... ज़िंदगी एक बार मिलती है और इसे अपने ही तरीके से जीयो। साफ और सीधे तौर पर 3 इडियट्स का मैसेज ये ही है। अफ़सोस कि ये फिल्मी सी लगने वाली बातें स्कूल या कॉलेज में नहीं सीखाई जाती... घर पर मां बाप भी नहीं सीखाते। इसलिए इन्हें सीखाने ख़ुद आमिर और उनकी टीम को आगे आना पड़ा। हिंदुस्तान को जादू की झप्पी और गांधीगिरी सीखाने वाले राजकुमार हीरानी को भी शायद इसलिए ऑल इज़ वेल का नारा देना पड़ा। कहानी... 3 इडियट्स की कहानी चेतन भगत के नॉवेल फाइव प्वाइंट समवन पर बेस्ड है... लेकिन स्क्रीनप्ले और ट्रीटमेंट में मेज़र चेंजेज़ है... जो ज़रूरी भी थे। फिल्म की कहानी फरहान कुरैशी यानी आर माधवन के फ्लाइट छोड़ कर भागने से शुरू होती है और आगे ऐसी रफ्तार पक़डती है जो क्लाइमेक्स पर जाकर ही थमती है। फरहान अपने दोस्त राजू यानि शरमन जोशी को साथ लेकर अपने तीसरे दोस्त रैंचो यानि आमिर को ढूंढने निकलता है... जो कॉलेज के बाद कहीं खो गया था। इस पूरे सफ़र के दौरान कहानी फ्लैशबैक में आती-जाती रहती है। कॉलेज के शुरूआती दिनों में फरहान और राजू के साथ रैंचो की मुलाकात और फिर तीनों की मौज

टाइगर वुड्स और बेरहम मीडिया

आज सुबह अख़बार पलटते हुए टाइगर वुड्स पर प्रीतिश नंदी का लेख पढ़ने को मिला। मैं बहुत पहले से ही नंदी साहब के लेखन का क़ायल रहा हूं। वो कमाल का लिखते है और ये बात जगज़ाहिर है। जब अमेरिका और हिंदुस्तान समेत दुनिया भर का मीडिया टाइगर वुड्स के चरित्र की धज्जियां उड़ा रहा है तब नंदी साहब का ये लेख वाक़ई सोचने पर मजबूर कर देता है। क्या वुड्स सचमुच में खलनायक है? किसी महान खिलाड़ी के किरदार की बखिया सिर्फ इसलिए उधेड़ दी जाए क्योंकि वो अपनी बीवी के साथ वफ़ा नहीं कर सका। आप एक खिलाड़ी की महानता उसके खेल के आधार पर तय करते सकते है न कि उसकी निज़ी ज़िंदगी के आधार पर। कोई शख़्स अपने बेडरूम में क्या कर रहा है और कैसे कर रहा है इस पर मीडिया या किसी अन्य को सवाल उठाने का हक़ नहीं है। ये उसका अपना मामला है। जैसा कि अब तक साफ़ है वुड्स ने किसी का बलात्कार नहीं किया.. और न किसी पर दबाव डाल कर संबंध बनाएं। जिन भी महिलाओं के साथ वुड्स के संबंध रहे वो उनकी आपसी रज़ामंदी से बने है। फिर वुड्स दोषी कैसे हो सकते है? अगर वो दोषी हैं भी तो अपनी पत्नी के न कि संपूर्ण राष्ट्र या विश्व के। और मीडिया के तो बिल्कुल भी