
हालिया रिलीज़ फिल्म 2012 का रीव्यू करते हुए मुझे अचानक 13 साल पुरानी हॉलीवुड फिल्म इंडिपेंडेंस डे की याद आ गई। ऐसा नहीं है कि दोनों फिल्मों में बहुत ज़्यादा समानता नज़र आई हो बल्कि ऐसा इसलिए क्योंकि धरती की तबाही पर देखी गई ये मेरी पहली हॉलीवुड फिल्म थी। ज़ाहिर सी बात है सिनेमा को लेकर तब मेरी जानकारी इतनी विस्तृत नहीं थी। लेकिन हां... दीवानगी आज के जैसी ही थी। इसलिए जो कुछ भी पर्दे पर उतरता वो मेरे दिमाग़ में घर करते जाता। उस वक्त ऐसे विध्वंसात्मक दृश्य मेरे लिए किसी अजूबे से कम नहीं थे। अपने दोस्तों के साथ बैठ कर मैं घंटों तक इस फिल्म की कहानी और विशेष प्रभाव वाले दृश्यों पर बातें करता था। 90 के दशक के मध्य में रिलीज़ हुई इंडिपेंडेंस डे वाक़ई एक कमाल की फिल्म थी। धरती पर एलियन्स का अटैक होने के बाद दुनिया को बचाने के लिए (हॉलीवुड फिल्मों में दुनिया का मतलब सिर्फ़ अमेरिका और कुछ विकसीत देश होते है) दर्जन भर लोग उनसे टक्कर लेते है। इन जांबाज़ लोगों में से तीन लोग फिल्म के अहम किरदार है जिनमें एक केबल में काम करने वाला है तो दूसरा एयरफोर्स ऑफिसर। तीसरा किरदार ख़ुद अमेरिकी राष्ट्रपति का है। एयरफोर्स ऑफिसर के रोल में हॉलीवुड सुपरस्टार विल स्मिथ की ये शुरुआती हिट फिल्मों में से एक थी। वहीं केबलब्वॉय हीरो डेविड यानि जेफ गोल्बब्लम मशहूर होने के बावजूद बाद में कभी भी ए लिस्टेड स्टार नहीं बन पाए। बड़ी बात ये है कि उनके नाम जुरासिक पार्क जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म सीरिज़ की दो फिल्में भी दर्ज है। अमेरिकी राष्ट्रपति के किरदार में बिल पुलमैन भी पहचाने चेहरे थे। ये बहुत कम लोग जानते होंगे कि इंडिपेंडेंस डे अपने दौर की सबसे ज़्यादा पैसा कमाने वाली हॉलीवुड फिल्म साबित हुई थी। साथ ही इसे भारत में परचम लहराने वाली शुरूआती हॉलीवुड हिट्स में गिना जाता है। वहीं आधुनिक सीजीआई तकनीक जिसकी मदद से 2012 के अधिकांश दृश्य बनाए गए है, इंडिपेंडेंस डे इस तकनीक से बनने वाली शुरुआती फिल्मों में से एक थी। गौरतलब है कि ये दोनों ही डिज़ास्टर फिल्में रोलैंड ऐमरिच ने बनाई है। रोलैंड का कल्पना संसार समझ से परे है... क्योंकि वो सृजन नहीं बल्कि विध्वंस रचते है। इंडिपेंडेंस डे से लेकर गॉडज़िला और डे ऑफ्टर टूमॉरो से लेकर 2012 तक उन्होने पर्दे पर सिर्फ तबाही दिखाई है। रोलैंड की ही एक और फिल्म है 10,000 बीसी जिसे उनकी सबसे कम सफल फिल्मों में रखा जाता है। हमेशा वक्त से आगे की कहानी कहने वाले रोलैंड इस फिल्म में मानव सभ्यता के 12,000 साल पीछे चले गए। हालांकि उन्होने इस फिल्म में भी विध्वंस ही रचा। 2012 देखते हुए मुझे कई बार लगा कि ये फिल्म तो महज़ स्पेशल इफेक्ट्स का पुलिंदा भर बन कर रह गई है। मेरा ऐसा सोचना जायज़ भी है क्योंकि दुनिया का कोई भी फिल्म क्रिटिक सिर्फ लाजवाब स्पेशल इफेक्ट्स के लिए किसी फिल्म को बेहतर फिल्म नहीं कहेगा। एक फिल्म को बेहतर बनाने के लिए और भी कई पहलू होते है और इन पहलूओं पर 2012 पूरी तरह खरी नहीं उतर पाई। अगर मैं अपनी आंखों पर लगा फिल्म क्रिटिक्स का चश्मा उतार दूं तो मैं ये ज़रूर कहूंगा कि मेरे दर्शक मन को ये फिल्म बहुत अच्छी लगी। अगर रोलैंड को पर्दे पर तबाही दिखाने में मज़ा आता है तो मुझे ये तबाही देखने में। कुल मिला कर रोलैंड ऐमरिच हमेशा से मेरे पसंदीदा निर्देशक रहे है। इंडिपेंडेंस डे से शुरु हुआ तबाही का ये सफ़र 2012 में दुनिया का ख़ात्मा कर चुका है। अब सोच में हूं कि रोलैंड के पास सिल्वरस्क्रीन पर दिखाने के लिए कौन सी तबाही रह गई है.... शायद इस बार वो धरती से उठकर अंतरिक्ष में अपनी कल्पनाओं के घोड़े दौड़ाएं। जिसकी झलक वो इंडिपेंडेंस डे में भी दिखा चुके है।
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